pain in love in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क

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दर्द ए इश्क

विकी यानी विक्रम ठाकुर अपने रहीस बाप की बिगडी हुयी ओलाद और दूसरी ओर स्तुति एक शांत लडकी पर वक्त आने पर अच्छे अच्छो को नानी याद दिला दे दोनो मे कुछ अच्छाईया हैं तो कुछ बुराईया भी है कहानी की शुरुआत होती है दोनों के अंत से पता है कन्फ़्युजन हो रहा है पर जब आप कहानी पठेगे तो पता चल जायेगा तो कहानी की शुरुआत करते हैं

विकी फ़ार्म हाउस में चैर मे बैठे बैठे अपनी डायरी मे कुछ लिख रहा था तभी एक लड़की के चिल्लाने कि आवाज आती है विकी फ़िर भी डायरी मे लिख ही रहा होता है फ़िर थोड़ी देर बाद वह अपनी डायरी बंद करके जिस दिशा में से लडकी की आवाज आयी वहाँ देखता हैं वह खडे होकर उस लडकी की ओर कदम बढाता है वह लडकी सोफ़े पे बेहोश पडी थी विकी अपने बॉडीगार्डस को जाने का इशारा करता है विकी पानी की बोतल मे से उस लडकी पर पानी छिटकता है लडकी होश मै आते ही इधर उधर देखने लगती है जब उसकी नज़र विक्रम पर पडती है तो वो थोडी देर कुछ बोल नहीं पाती फ़िर वह कहती हैं

लडकी: क्यों?
विक्रम: तुम सोच भी कैसे सकती हो
लडकी: आखिर मेरी गलती क्या है
विक्रम: तुमने सोच भी कैसे लिया तुम इतनी आसानी से किसी और की हो जाओगी
लडकी: तो क्या करु पूरी जिंदगी तुम्हारा इंतज़ार एसा इंतजार जिसमे कोई उम्मीद ही ना हो
विक्रम: (चिल्लाते हुये) स्तुति .....
स्तुति: चिल्लाओ मत चिल्लाने से कुछ बदल नहीं जायेगा
विक्रम: ठीक है माना मैं कुछ बदल नहीं सकता पर इतना भी बुजदिल नहीं की तुम्हें किसी ओर का होने दू
स्तुति: विक्रम मतलब क्या है तुम्हारा?
विक्रम: वही जो तुम समज रही हो
स्तुति: तुम रेहान को कुछ नहीं करोगे समझे तुम
विक्रम: मैने रेहान का नाम लिया ही कब है मान गये तुम्हारी मोहब्बत को
स्तुति: हर रीश्ता मोहब्बत का नही उसके अलावा भी कइ रीश्ते है इस दुनिया में
विक्रम: हाँ वो तो मुझे दिख ही रहा हैं
स्तुति: जो कहना है साफ़ साफ़ कहो
विक्रम: (चिल्लाते हुये सोफ़े के दोनो तरफ़ हाथ को पटकते हुये ) यही की तुमने सोच भी कैसे लिया तुम खुद को मेरे अलावा किसी ओर का होने दे सकती हो तुम्हे क्या लगा मुझे पता नहीं चलेगा
स्तुति: मुझे पता नहीं की तुम किस बारे में बात कर रहे हो पर ईतना पता है की फ़िर से किसी की उलटी सीधी बाते सुनकर आये हो
विक्रम: हाँ सुना भी और देखा भी अब बारी है फ़ाईनल डीसीजन की
स्तुति: विक्रम मतलब क्या है तुम्हारा देखो जो तुमने सुना वो सब गलत है तुम पहले भी कई बार गलती कर चूके हो
विक्रम: इसलिए तो यह किस्सा ही खत्म कर देते हैं ना मैं तुम्हें हर्ट करुगा ओर ना ही कोई गलती
स्तुति: मत... ल.. ल्ल ब..
विक्रम: मतलब ये की तुम मेरी ना हुयी कोइ बात नहीं मैं तुम्हें किसी ओर का भी नहीं होने दे सकता हूँ
स्तुति: वी... क्रम्म्म देखो... बात एसी है कि....
(विक्रम उस पर कुछ छिडकता है) (पेट्रोल)
विक्रम: फ़िर मिलेगे यह कहते हुये वह उस पर तीलि फ़ेक देता है और स्तुति उसके सामने ही जल रही होती हैं फ़िर भी वह उसे बचा नहीं पा रहा स्तुति चिखती है चिल्लाती है लेकिन फ़िर भी वह उसे जलने दे रहा है
(स्तुति रस्सी से बन्धे होने के वजह से खुद बचा नहीं पाती )
फ़िर विक्रम भी सोफ़े पे बैठे बैठे रो भी रहा होता है ओर हँस भी रहा होता है वह अपनी हालत पर किसे जिम्मेदार समझे वह समझ नहीं पाता वह अपनी पिस्तोल निकालता है ओर खुद को शूट कर देता है ओर वो वही पर गीर जाता है

गोली की आवाज सुनकर सारे बॉडीगार्डस अंदर भागते हुये आते हैं विक्रम को एसी हालत में देखकर डर जाते हैं वे जल्दी से बडे साहब को फ़ोन करते हैं और सारी बात बताते है ओर डाक्टर को भी बुलाते है ओर सारे मामले को रफ़ा दफ़ा करने की कोशिश करते है विक्रम के पिता डाकटर को किसी भी किमत पर विक्रम को बचाने के लिए कहते है तभी डाक्टर उनहे कहते हैं की विक्रम के बचने के चान्स 1 या 2 पर्सनटेज ही है जिसके कारन विक्रम के पिता डाक्टर का कॉलर से पकड़ के कहते है की अगर विक्रम नहीं बचा तो डाक्टर भी यह दुनिया नहीं देख पायेगा यह कहकर वह फ़ार्म हाउस से निकल जाते हैं